रांची
वक्फ अधिनियम 1995 में केंद्र सरकार द्वारा किए गए संशोधनों के विरोध में आमया संगठन ने वक्फ संशोधन बिल 2024 को वापस लेने की मांग की है। इस संबंध में संगठन ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के नाम गुजारिशनामा जारी किया है। आमया संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष एस. अली ने कहा कि यह संशोधन संविधान की मूल भावना, समानता के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है। उन्होंने बताया कि वक्फ संपत्तियां मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय द्वारा दान की गई हैं, जिनमें मस्जिद, मदरसा, ईदगाह, मजार, मकबरा, दरगाह, खानकाह, कब्रिस्तान, मुसाफिरखाना और शैक्षणिक संस्थान शामिल हैं।
संशोधित बिल की प्रमुख आपत्तियां:
1. कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण का अधिकार दिया गया है, जिससे पारदर्शिता प्रभावित होगी।
2. मौखिक या सादे कागज पर दर्ज वक्फ संपत्तियां अब मान्य नहीं होंगी और इनके स्वामित्व का निर्धारण कलेक्टर द्वारा किया जाएगा।
3. वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल किया गया है, जबकि अन्य धार्मिक न्यासों में ऐसा नहीं किया जाता।
4. वक्फ ट्रिब्यूनल से मुस्लिम कानून के विशेषज्ञों को हटाने से विवादों के निपटारे पर असर पड़ेगा।
5. वक्फ संपत्ति निर्माण के लिए इसे इस्लाम का पालन करने वाले व्यक्तियों तक सीमित कर दिया गया है, जो अनुचित है।
एस. अली ने कहा कि ये संशोधन वक्फ एक्ट और वक्फ बोर्ड को कमजोर करते हैं और लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ हैं, इसलिए इस बिल को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।
कार्यक्रम में शामिल प्रमुख लोग:
इस अवसर पर संगठन के केंद्रीय पदाधिकारी जियाउद्दीन अंसारी, नौशाद आलम, मौलाना फजलूल कदीर, इमरान अंसारी, शाहिद अफरोज, एकराम हुसैन, अब्दुल गफ्फार, जावेद अख्तर, अंजुम खान, सईद अंसारी, इमरोज अंसारी, अफसर आलम, इमरान जिलानी, फिरोज अंसारी और जुबैर अंसारी सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे।